सब कुछ मिला तो भी रोया...किसी को खुद से ऊपर जाते देखा तो जलन से रोया...शोहरत की बुलंदियों
को किसी और को छूते देखा तो तकलीफ के दर्द से बहुत रोया...कोई टूट के बिख़र गया तो मदद की
बजाय उस के गिरने पे,जी भर के मुसकराया...किसी का घर लुट गया तो अकेले मे उस की बर्बादी पे
ख़ुशी के आंसू से रोया...वाह रे इंसान..तुझे तो भगवान् भी समझ ना पाया,जिस ने खुद तुझ को बनाया..
ऊपर वाले तेरा कोटि-कोटि शुक्रिया,जो तूने इन इंसानो को यह दिन दिखाया..बस अब कुछ ऐसा कर कि
इन को ज़िंदगी का जीना तेरी ही रहमत के साथ समझ आए...
को किसी और को छूते देखा तो तकलीफ के दर्द से बहुत रोया...कोई टूट के बिख़र गया तो मदद की
बजाय उस के गिरने पे,जी भर के मुसकराया...किसी का घर लुट गया तो अकेले मे उस की बर्बादी पे
ख़ुशी के आंसू से रोया...वाह रे इंसान..तुझे तो भगवान् भी समझ ना पाया,जिस ने खुद तुझ को बनाया..
ऊपर वाले तेरा कोटि-कोटि शुक्रिया,जो तूने इन इंसानो को यह दिन दिखाया..बस अब कुछ ऐसा कर कि
इन को ज़िंदगी का जीना तेरी ही रहमत के साथ समझ आए...