हर इंतज़ार गर प्यार होता तो मुहब्बत का दावा सच ही होता...गुजरते वक़्त के साथ गर प्यार,नए रूप
और रंग से सजा रहता तो प्यार पुराना क्यों होता...प्यार ही तो था जाने भी दीजिए ..यह सोच गर हर
प्यार करने वाला रखता तो प्यार खाक-राख हो गया होता...बांध के दामन से रखना,ताउम्र उसी को
समर्पित होना..खुद से जयदा सनम की दौलत रहना..वो डोर महीन मगर मजबूत इतनी होना,खींचने
पे भी टूट ना पाना और फिर डोर का खुद से खुद बेताबी से लौट आना...जुदा हो कर भी जुदा ना होना..
ज़न्नत की नगरी मे इंतज़ार अपने मेहबूब का करना और फिर से....... प्रेम की अनंत यात्रा को साथ
साथ शुरू करना....
और रंग से सजा रहता तो प्यार पुराना क्यों होता...प्यार ही तो था जाने भी दीजिए ..यह सोच गर हर
प्यार करने वाला रखता तो प्यार खाक-राख हो गया होता...बांध के दामन से रखना,ताउम्र उसी को
समर्पित होना..खुद से जयदा सनम की दौलत रहना..वो डोर महीन मगर मजबूत इतनी होना,खींचने
पे भी टूट ना पाना और फिर डोर का खुद से खुद बेताबी से लौट आना...जुदा हो कर भी जुदा ना होना..
ज़न्नत की नगरी मे इंतज़ार अपने मेहबूब का करना और फिर से....... प्रेम की अनंत यात्रा को साथ
साथ शुरू करना....