Tuesday 2 June 2020

यह तमाम ज़िंदगियाँ फिर खिले गी..हवाएं फिर साफ़ होगी...दुःख के बादल दूर होंगे,जरूर होंगे..आशा

का दूजा नाम ही ज़िंदगी है...यह देश वही है,जहाँ वीरों ने जन्म लिया है...यह देश अभी भी वही है,जहाँ

स्त्री आज भी कही ना कही रानी झाँसी की है...यही कहीं वो गौरी है..राधा है..सीता भी है...पावन यह

धरा आज भी है..जब इस धरा पे यह सब बसे है,कहीं ना कहीं तो दर्द-तकलीफ को जाना ही होगा...

रूहे साफ़ आज भी है..संस्कारो की मौजूदगी आज भी है..तो कैसे यह उम्मीद ना करे कि आने वाली

ज़िंदगी खूबसूरत ना होगी...जरूर जरूर होगी...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...