क्या कहे बरसात तेरी कहानी...मुहब्बत की तरह बरस रही तेरी यह टिप टिप और गरजती तूफानी..
थम जा अब तो,समंदर मे भरे गी अब और कितना पानी...लहरें है उफान पे और तू बरस रही है उतने
ही गुमान से...मुहब्बत को ना शर्मिंदा कर अब इस तूफानी तूफान मे...मिलने से क्यों रोक रही सब के
अंदर के तूफान को...जा सिमट जा अपने बदरा की आगोश मे..क्यों कर रही उस का दामन ख़ाली,
आखिर वही से आई है यह तेरी बरसती कहानी...
थम जा अब तो,समंदर मे भरे गी अब और कितना पानी...लहरें है उफान पे और तू बरस रही है उतने
ही गुमान से...मुहब्बत को ना शर्मिंदा कर अब इस तूफानी तूफान मे...मिलने से क्यों रोक रही सब के
अंदर के तूफान को...जा सिमट जा अपने बदरा की आगोश मे..क्यों कर रही उस का दामन ख़ाली,
आखिर वही से आई है यह तेरी बरसती कहानी...