बेहद कच्ची डोर बंधी है,ज़िंदगी और मौत के बीच...एक इशारे पे टिकी है इन दोनों की जीत...साँसे
महके तो जीत जाती है ज़िंदगी..बिख़र जाए साँसे तो जीत जाती है मौत की पालकी..एक पल का खेल
है यह सारा...निहारा हम ने आसमां की और..इंद्रधनुष आया है मौसम साफ़ होने के बाद..फिर सोचा
क्या फ़रिश्ते भी यही कही होंगे,देखे तो आवाज़ लगा के...नैना टिक गए आसमां के इसी इंद्रधनुष के
आगे,होंगे फ़रिश्ते यही कही आस-पास..हम ने चुपके से ज़िंदगी को मांग लिया,साँसों का दौर कुछ और
मांग लिया...क्या कहे आप से,यह ज़िंदगी खूबसूरत जो है आप की..फिर क्यों ना मांगे कुछ आप से..
महके तो जीत जाती है ज़िंदगी..बिख़र जाए साँसे तो जीत जाती है मौत की पालकी..एक पल का खेल
है यह सारा...निहारा हम ने आसमां की और..इंद्रधनुष आया है मौसम साफ़ होने के बाद..फिर सोचा
क्या फ़रिश्ते भी यही कही होंगे,देखे तो आवाज़ लगा के...नैना टिक गए आसमां के इसी इंद्रधनुष के
आगे,होंगे फ़रिश्ते यही कही आस-पास..हम ने चुपके से ज़िंदगी को मांग लिया,साँसों का दौर कुछ और
मांग लिया...क्या कहे आप से,यह ज़िंदगी खूबसूरत जो है आप की..फिर क्यों ना मांगे कुछ आप से..