यह बरखा जब भी आती है...नादानियाँ हज़ारो कर जाती है..कैसे समझाए इसे तू क्यों कितनो की राह
रोक देती है..परिंदो को बेवजह भीगने पे मजबूर करती है...कुछ सवाल जो अधूरे रह गए थे कल,उन
का जवाब मिलने से पहले झमाझम बरस पड़ती है..वक़्त से पहले तेरा यू बरसना,दिलों को तोड़ देता
है...फिर तूफान बन के जो आती हो तो ज़माने को डरा देती हो...जा लौट जा अपने देस,यहाँ अभी
दुखो का दौर बाकी है..आना तभी जब जहाँ डूबने लगे खुशियों की बेला मे..छोड़ नादानियाँ,जा लौट
जा देस अपने कि यहाँ अभी तकलीफो का डेरा है...
रोक देती है..परिंदो को बेवजह भीगने पे मजबूर करती है...कुछ सवाल जो अधूरे रह गए थे कल,उन
का जवाब मिलने से पहले झमाझम बरस पड़ती है..वक़्त से पहले तेरा यू बरसना,दिलों को तोड़ देता
है...फिर तूफान बन के जो आती हो तो ज़माने को डरा देती हो...जा लौट जा अपने देस,यहाँ अभी
दुखो का दौर बाकी है..आना तभी जब जहाँ डूबने लगे खुशियों की बेला मे..छोड़ नादानियाँ,जा लौट
जा देस अपने कि यहाँ अभी तकलीफो का डेरा है...