Friday 5 June 2020

शुक्रिया कहे या सलामे-आदाब कह दे...बादलों की ओट से चाँद हम से मिलने आया है...दिखा कर

झलक अपनी,हम को हम से ही चुराने आया है...भूल रहा है शायद,इस बरखा को हम ने ही रुकवाया

है...बादलों को खाली कर हम ने तेरे लिए,मकाम बनाया है...तुझे नज़र ना लगे किसी भी सितारे की,हम

ने सौ परदों मे तुम को छुपाया है...तेरा मेरे बिना गुजारा नहीं,यह एहसास बरखा रुकवा कर तुझे करवाया

है..चांदनी की ओट है,चांदनी की खोज है..इसलिए दुनियां भी कहे,चाँद तेरा ही रोज़ है... 

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...