महकते गुलाबों की वादियों से गुजर रहे है हम...कैसे कह दे इन की खुशबुओं से बेअसर हो रहे है
हम...इन की कहानी है बस इतनी..देख के हमी को हो रही मेहरबानी और बेताबी इंतिहा इन की...
इन को छू लेने की ख़ता नहीं करे गे हम...क्यों घायल करे इन को,जज्बात तो इन के देख हमे, पिघल
रहे है आज...काँटों की बिसात तो देखिए ना,लगाते है जब भी इन को हाथ..क़यामत से क़यामत तक
यह देख हमे, अपना नुकीलापन भूले जा रहे है आज...क्या हम को इन कांटो की भी परिभाषा बदलनी
होगी..छोड़ दिया जिन्हो ने चुभना और हमारे साथ से बदल गए इतना...
हम...इन की कहानी है बस इतनी..देख के हमी को हो रही मेहरबानी और बेताबी इंतिहा इन की...
इन को छू लेने की ख़ता नहीं करे गे हम...क्यों घायल करे इन को,जज्बात तो इन के देख हमे, पिघल
रहे है आज...काँटों की बिसात तो देखिए ना,लगाते है जब भी इन को हाथ..क़यामत से क़यामत तक
यह देख हमे, अपना नुकीलापन भूले जा रहे है आज...क्या हम को इन कांटो की भी परिभाषा बदलनी
होगी..छोड़ दिया जिन्हो ने चुभना और हमारे साथ से बदल गए इतना...