अपनी इन सुर्ख आँखों का राज़ किस किस को कैसे बता पाए गे...कैसे बताए जागे है रात भर और खुद
को फिर भी इस दुनियाँ के तानों से ना बचा पाए गे..तूने क्या हम को सताने की कसम खाई है...बुलाते हो
हम को रोज़ सपनो मे और हम करवटें लेते रात गुजार देते है...गलती से सो भी जाए तो तुम वहां लेते हो
करवटें इतनी कि हम आँखों मे रात गुजार देते है...जनाबे-आली,या तो खुद सो जाया कीजिए या हमारा
अपने सपनो मे आना बंद करवा दीजिए...आईना भी अब जीने नहीं देता...अक्स तो तेरे चेहरे पे है मेहबूब
का,तो मेरे पास खुद की सूरत देखने क्यों आते हो...
को फिर भी इस दुनियाँ के तानों से ना बचा पाए गे..तूने क्या हम को सताने की कसम खाई है...बुलाते हो
हम को रोज़ सपनो मे और हम करवटें लेते रात गुजार देते है...गलती से सो भी जाए तो तुम वहां लेते हो
करवटें इतनी कि हम आँखों मे रात गुजार देते है...जनाबे-आली,या तो खुद सो जाया कीजिए या हमारा
अपने सपनो मे आना बंद करवा दीजिए...आईना भी अब जीने नहीं देता...अक्स तो तेरे चेहरे पे है मेहबूब
का,तो मेरे पास खुद की सूरत देखने क्यों आते हो...