Friday 5 June 2020

अपनी इन सुर्ख आँखों का राज़ किस किस को कैसे बता पाए गे...कैसे बताए जागे है रात भर और खुद

को फिर भी इस दुनियाँ के तानों से ना बचा पाए गे..तूने क्या हम को सताने की कसम खाई है...बुलाते हो

हम को रोज़ सपनो मे और हम करवटें लेते रात गुजार देते है...गलती से सो भी जाए तो तुम वहां लेते हो

करवटें इतनी कि हम आँखों मे रात गुजार देते है...जनाबे-आली,या तो खुद सो जाया कीजिए या हमारा

अपने सपनो मे आना बंद करवा दीजिए...आईना भी अब जीने नहीं देता...अक्स तो तेरे चेहरे पे है मेहबूब

का,तो मेरे पास खुद की सूरत देखने क्यों आते हो...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...