बेहद सकून भरा है आज की रात मे....गहरा गई है यह रात,आंखे डूब रही है नींद के खुमार मे..
कैसा सकून है यह जो भर रहा है नींद बेहिसाब इन आँखों मे...लगता है सपनो का मीठा रस घुले
गा आज नींद की मदहोशी मे...दिन भर की थकान उतार रही है खुमारी..आंखे जो खुल नहीं पा रही
नींद के बोझ से..दूर कही से एक आवाज़ दे रही है सुनाई हम को..सो जा कि ऐसी नींद मुकद्दर से
मिला करती है...नींद की ऐसी आगोश ख़ुशक़िस्मतो को मिलती है..
कैसा सकून है यह जो भर रहा है नींद बेहिसाब इन आँखों मे...लगता है सपनो का मीठा रस घुले
गा आज नींद की मदहोशी मे...दिन भर की थकान उतार रही है खुमारी..आंखे जो खुल नहीं पा रही
नींद के बोझ से..दूर कही से एक आवाज़ दे रही है सुनाई हम को..सो जा कि ऐसी नींद मुकद्दर से
मिला करती है...नींद की ऐसी आगोश ख़ुशक़िस्मतो को मिलती है..