Monday 1 June 2020

तपस्या गहरी रही पर बात फिर, अपने बाबा की याद आई...परवरदिगार के घर देर होगी मगर अंधेर

तो नहीं...मन का शीशा इतना उजला रखना कि हल्का दाग़ भी नज़र आ जाए..दुनियां तुझे कुछ भी

कहे बेशक कहती रहे..तेरी तपस्या यू ही चलती रहे...ठोकरें मिले गी बहुत,धोखे भी दे गे लोग..याद

अपने बाबा की बात रखना..लोग तो भगवान् पे भी सवाल उठा देते है..लोग तो माँ सीता पे भी आरोप

लगा चुके है..फिर बिसात हमारी क्या उन के आगे...तुझे खुद को साबित करने के लिए,दुनियां को नहीं

बस भगवान् को परीक्षा देनी है...तुझे सफल बस उन्ही से होना है....

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...