यह नैना आज रात, जी भर के सोए गे...पलकों के किनारे खुलने भी ना दे गे और सपनो के जहाँ मे
खो जाए गे...रात को कह रहे है,मेरा साथ आज बहुत दूर तक देना..सवेरा जल्दी ना हो इस बात से
वाकिफ तू रहना..सपनो के मेले चलते रहे और हम इन सपनो की आगोश मे रुके रहे...ठहर जा रात
अभी खिड़की से चाँद को भी आना है..वो देखे ना हम को चोरी से,इस बात को तुझे ही उस को समझाना
है...नज़रे इनायत होगी सुबह,पर रात तुझे बस मेरे ही संग रुक जाना है...
खो जाए गे...रात को कह रहे है,मेरा साथ आज बहुत दूर तक देना..सवेरा जल्दी ना हो इस बात से
वाकिफ तू रहना..सपनो के मेले चलते रहे और हम इन सपनो की आगोश मे रुके रहे...ठहर जा रात
अभी खिड़की से चाँद को भी आना है..वो देखे ना हम को चोरी से,इस बात को तुझे ही उस को समझाना
है...नज़रे इनायत होगी सुबह,पर रात तुझे बस मेरे ही संग रुक जाना है...