Monday 1 July 2019

आज ना जाने क्यों पायल छन-छन करती टूट गई...चूड़ियाँ खनकी इतनी कि आहे-बगाहे छनक गई...

वो लबो का हल्का सा कंपन,साँसों की गरमाहट से पिघल गया..क्यों आज साजन की मीठी बातो से

यह दिल दहक गया..मौसम की गर्म सी रवानगी मे,सब कुछ जैसे महक गया..ख़ुशी से बहके आज यह

नैना,कि दर्द जैसे हवा हो गया...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...