रुनझुन रुनझुन पायल मेरी,दे रही है साज़ ना जाने कितने आज...बरस रहा है सावन जरुरत से जय्दा
आज...सावन से पूछा क्या है आज कुछ खास...बरसा रहा है मीठा पानी,क्यों किस से मिलने की है
आस..बात उसी से करने हम पहुंचे सावन के पास..भिगोया तब उस ने ऐसा हम को खिल गई सूरत
बन गई बात..पायल मेरी खूब ही भीगी,खास बन गई आज की रात...
आज...सावन से पूछा क्या है आज कुछ खास...बरसा रहा है मीठा पानी,क्यों किस से मिलने की है
आस..बात उसी से करने हम पहुंचे सावन के पास..भिगोया तब उस ने ऐसा हम को खिल गई सूरत
बन गई बात..पायल मेरी खूब ही भीगी,खास बन गई आज की रात...