दोस्तों...मेरी शायरी,इस के हर लफ्ज़ को पढने के लिए..उस के अर्थ को समझने के लिए,यह शायरा आप सभी का मन से अभिनन्दन और शुक्रिया अदा करती है...मैं हर बार कुछ नया लिखू...प्यार,पाक मुहब्बत,जज्बात,विरह की मिलीजुली भावनाओ की एक खूबसूरत लय है..मेरी यह शायरी..मेरी गुजारिश है आप सभी से कि मेरे लिखे लफ्ज़ो पे अपने थोड़े से शब्दों की एक ऐसी मोहर लगाए कि मैं अच्छा और भी अच्छा लिख सकू...आभार,शुक्रिया.....शुभ रात्रि दोस्तों...
Sunday, 14 July 2019
दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....
दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...
-
एक अनोखी सी अदा और हम तो जैसे शहज़ादी ही बन गए..कुछ नहीं मिला फिर भी जैसे राजकुमारी किसी देश के बन गए..सपने देखे बेइंतिहा,मगर पूरे नहीं हुए....
-
मौसम क्यों बरस रहा है आज...क्या तेरे गेसुओं ने इन्हे खुलने की खबर भेजी है----बादल रह रह कर दे रहे है आवाज़े, बांध ले इस ज़ुल्फो को अब कि कह...
-
बैठे है खुले आसमाँ के नीचे,मगर क्यों है बेहद ख़ामोशी यहाँ...कलम कह रही है क्यों ना लिखे ख़ामोशी की दास्तां यहाँ...आज है ख़ामोशी खामोश यहाँ औ...