Monday 29 July 2019

लय भी एक,ताल भी एक..सुर संगम पे आ कर ठहरा इक मधुर प्यारा सा गीत...कोई बोला है

यह कविता,कहा किसी ने लगती है यह इश्के-दास्तां..नज़र मे किसी के आया हुस्ने-बाला का इक

चेहरा...कुछ कुछ होता सुन कर तुझ को,पढते रहे तुझी को सारी रात..हम ने ख़ामोशी से तोडा इसी 

गीत का प्यारा सा राज़...गीत नहीं यह तो है शायर के खवाबो का नन्हा सा संसार...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...