आज क्यों तेरी आँखों से शरारत की महक आ रही है..यह मौसम की चाल है या तेरी कोई रंगीन रज़ा
है..जानलेवा मौसम को शिद्दत से पुकारा हम ने,जानते है उस को तुम्हारे घर का पता बता दिया हम ने..
.आज वो बरसे गा तेरे आंगन मे इतना इतना..आखिर वक़्त की नज़ाकत को देख तुम को पुकारना
होगा हम को...जान..अब तो रोको इन को,मिलने की कोई वजह तो बताओ इन को...
है..जानलेवा मौसम को शिद्दत से पुकारा हम ने,जानते है उस को तुम्हारे घर का पता बता दिया हम ने..
.आज वो बरसे गा तेरे आंगन मे इतना इतना..आखिर वक़्त की नज़ाकत को देख तुम को पुकारना
होगा हम को...जान..अब तो रोको इन को,मिलने की कोई वजह तो बताओ इन को...