Sunday, 14 July 2019

आज क्यों तेरी आँखों से शरारत की महक आ रही है..यह मौसम की चाल है या तेरी कोई रंगीन रज़ा

है..जानलेवा मौसम को शिद्दत से पुकारा हम ने,जानते है उस को तुम्हारे घर का पता बता दिया हम ने..

.आज वो बरसे गा तेरे आंगन मे इतना इतना..आखिर वक़्त की नज़ाकत को देख तुम को पुकारना

होगा हम को...जान..अब तो रोको इन को,मिलने की कोई वजह तो बताओ इन को...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...