Wednesday 24 July 2019

नज़र का यह अनोखा अंदाज़ और फिर मौसम के कहर का बहकता सैलाब...क्या ले गया,क्या दे गया...

हिसाब-किताब क्या रखे,यादाशत पे तो जैसे ताला लग गया...जी चाहता है कर दे मौसम के हवाले

सारे पैगाम...खुशियों को बिखेरे इतना कि सहेजते सहेजते थक जाए वो हाथ...समंदर मे भर दे इतने

मोती कि निकाले वो जितनी बार,हमारी याद मे मुस्कुराए वो मोती देखे जितनी बार.... 

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...