खामोशियां टूट चली है अब,गुफ्तगू की राह पे...वो करीब आ रहे है,मेरे मेहरबां बन के...मुलाकातों का
सिलसिला ना टूटे कभी,वो नज़र फेर ले हम से ऐसा ना होगा कभी...खुद पे बहुत यकीन है हम को,जान
की बाज़ी हर पल तैयार रहे गी उन के लिए..यूं तो नहीं कहते कि मुहब्बत लाजवाब होती है..जब आ जाए
निभाने पे,हर रस्म तोड़ जाती है..खुदा किसी को किसी से जुदा ना करे,गर करे तो साँसों को मद्देनज़र
रख के ही करे..
सिलसिला ना टूटे कभी,वो नज़र फेर ले हम से ऐसा ना होगा कभी...खुद पे बहुत यकीन है हम को,जान
की बाज़ी हर पल तैयार रहे गी उन के लिए..यूं तो नहीं कहते कि मुहब्बत लाजवाब होती है..जब आ जाए
निभाने पे,हर रस्म तोड़ जाती है..खुदा किसी को किसी से जुदा ना करे,गर करे तो साँसों को मद्देनज़र
रख के ही करे..