Thursday 11 July 2019

मिज़ाज़ की ना पूछिए बस फसे है किसी तूफानी सैलाब मे..गुजारिश है बस इतनी अब रहमो-करम 

कीजिए...किश्ती को किनारे लगाने के लिए मिन्नतें करते है..हाथ जोड़ कर दिल से पुकारते है..ना

डूबने दीजिए हमारी किश्ती को,भार से पहले ही घायल है..उठाए कैसे अब बोझ अपना कि किसी और

का दिल भी पास हमारे है..कश्मकश का क्या कहना,रातो की नींद अब नदारद है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...