साफ़ कांच की तरह मन है तेरा..मासूम सा दिल जिस मे भरा है शुद्ध प्रेम का प्याला...जहान बहुत
बड़ा है,हर इंसान अपनी तरह का है..कुछ चेहरे देखे बेहद खूबसूरत,काया का भरमाया रूप भी देखा...
अहंकार भरा था इतना कि दुःख-संताप से नफरत का अँधेरा घिर आया..दौलत के नशे मे चूर अपने
मन का कालापन कहां नज़र आया..फिर भी यह दुनियां है कुदरत की,तेरे जैसा इक इंसान बनाया..
शीश नवाया हम ने उस पे,श्रद्धा से कुदरत को आदाब बजाया..
बड़ा है,हर इंसान अपनी तरह का है..कुछ चेहरे देखे बेहद खूबसूरत,काया का भरमाया रूप भी देखा...
अहंकार भरा था इतना कि दुःख-संताप से नफरत का अँधेरा घिर आया..दौलत के नशे मे चूर अपने
मन का कालापन कहां नज़र आया..फिर भी यह दुनियां है कुदरत की,तेरे जैसा इक इंसान बनाया..
शीश नवाया हम ने उस पे,श्रद्धा से कुदरत को आदाब बजाया..