वो इक हवा का झोका, जो तुझ को छू कर भी गुजर जाए..वो तेरी हर सांस,जो मुझे छू कर महक बन
जाए..तेरे साथ जुड़ा वो हर इंसान,मेरा भी नाता-रिश्ता बन जाए...प्यार की सीमा कितनी है,यह तुझे
कैसे समझा पाए गे..तू साथ है तब भी तू दूर है..तब भी.इन निगाहो की चिलमन तेरे इर्द-गिर्द ही तो
है..नींद मे है तब भी..सपनो मे है तब भी..और सुबह जब आंख खुले तो तेरे दरवाजे की दस्तक पे भी
मैं हू..अब यह ना पूछ कि प्यार की सीमा बता दे कितनी है...
जाए..तेरे साथ जुड़ा वो हर इंसान,मेरा भी नाता-रिश्ता बन जाए...प्यार की सीमा कितनी है,यह तुझे
कैसे समझा पाए गे..तू साथ है तब भी तू दूर है..तब भी.इन निगाहो की चिलमन तेरे इर्द-गिर्द ही तो
है..नींद मे है तब भी..सपनो मे है तब भी..और सुबह जब आंख खुले तो तेरे दरवाजे की दस्तक पे भी
मैं हू..अब यह ना पूछ कि प्यार की सीमा बता दे कितनी है...