Tuesday 16 July 2019

आँखों का रोना और खुल के बरसना..बरस के फिर खुले आसमां की तरह सुबह तक साफ़ हो जाना..

अपनी हंसी से फिर किसी की दुनिया मे हज़ारो रंग भरना..कितने खुशकिस्मत है हम,हज़ारो से

रोज़ यही सुनना..खुद ही खुद से सवाल करते है,फिर खुद को यही जवाब देते है..बहुत खुशकिस्मत

है हम, रोते तो है मगर जज्बे अपने को सलाम भी करते है..कौन है हम जैसा,जो दर्द को अपने मे

दबा कर दुनिया को खुशिया बांटा करता  है ...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...