गजरा जब भी खुला,महक से दुनिया महक गई...खुशबू के डेरे ऐसे रहे,तन मन जैसे खिल से गए..
आंखे चमकी झिलमिल तारो जैसी,रोना जैसे भूल गए..खुद को देखा जब जब हम ने,आईना बोला
अब सजने की क्या जरुरत है...नूर तेरा अब कहता है,चाँद को अब तेरी जरुरत है..गरूर तोडा तूने
उस का,अब चांदनी को भी तेरे साथ की जरुरत है..
आंखे चमकी झिलमिल तारो जैसी,रोना जैसे भूल गए..खुद को देखा जब जब हम ने,आईना बोला
अब सजने की क्या जरुरत है...नूर तेरा अब कहता है,चाँद को अब तेरी जरुरत है..गरूर तोडा तूने
उस का,अब चांदनी को भी तेरे साथ की जरुरत है..