Saturday 27 July 2019

गजरा जब भी खुला,महक से दुनिया महक गई...खुशबू के डेरे ऐसे रहे,तन मन जैसे खिल से गए..

आंखे चमकी झिलमिल तारो जैसी,रोना जैसे भूल गए..खुद को देखा जब जब हम ने,आईना बोला

अब सजने की क्या जरुरत है...नूर तेरा अब कहता है,चाँद को अब तेरी जरुरत है..गरूर तोडा तूने

उस का,अब चांदनी को भी तेरे साथ की जरुरत है..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...