ना लिख अपनी ख्वाईशो मे नाम मेरा कि मैं तो तेरे दिल की धड़कन मे बसती हू..ना जोड़ कोई रिश्ता
मुझ से,तेरे लहू की हर बूंद मे राज़ करती हू..गर्दन झुका कर कभी झांक अपने अंदर कि सीने मे तेरे
हर पल बंद रहती हू..तेरे हर कदम के पीछे मेरा हर कदम होता है..साथ चलने के लिए क्या साथ रहना
जरुरी होता है..रूहे हमेशा आज़ाद हुआ करती है, कि साजन से मिलने के लिए दूरियां कहां कब तय हुआ
करती है..
मुझ से,तेरे लहू की हर बूंद मे राज़ करती हू..गर्दन झुका कर कभी झांक अपने अंदर कि सीने मे तेरे
हर पल बंद रहती हू..तेरे हर कदम के पीछे मेरा हर कदम होता है..साथ चलने के लिए क्या साथ रहना
जरुरी होता है..रूहे हमेशा आज़ाद हुआ करती है, कि साजन से मिलने के लिए दूरियां कहां कब तय हुआ
करती है..