Tuesday 9 July 2019

ईश्वर को देखा नहीं कभी..बस एक धुंधली सी तस्वीर पलकों के कोनो मे महकती रही..क्या ईश्वर

होता है,क्या वो जीने की वजह भी देता है..इतने सवाल पर जवाब खुद ही खुद मे ढूंढ़ते रहे..सो गए

कभी खुले आशियाने मे,कभी सोने की कोशिश मे करवटें बदलते रहे...एक  मसीहा फिर ईश्वर ने

भेजा,तब हम समझे क्यों यह दुनिया अब भी है ज़न्नत जैसी ..बिलकुल वैसी,जैसे ईश्वर की बोली..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...