यादों का यह सिलसिला...कब कहां ख़त्म होता है..प्यार की भीगी चाशनी मे नशा याद का होता है..
दिल पे हाथ रखा तो दिल भी धक् धक् करता है..सोचा यह तो है पास तेरे,फिर यह क्यों धड़कता है..
फिर इसी याद ने याद दिलाया,दिल तेरा तो बदल गया..यह जो पास धड़क रहा,दिल तो उस साजन
का है..अदला-बदली के मौसम मे,प्यार हुआ बस प्यार हुआ...
दिल पे हाथ रखा तो दिल भी धक् धक् करता है..सोचा यह तो है पास तेरे,फिर यह क्यों धड़कता है..
फिर इसी याद ने याद दिलाया,दिल तेरा तो बदल गया..यह जो पास धड़क रहा,दिल तो उस साजन
का है..अदला-बदली के मौसम मे,प्यार हुआ बस प्यार हुआ...