Tuesday 30 July 2019

यादों का यह सिलसिला...कब कहां ख़त्म होता है..प्यार की भीगी चाशनी मे नशा याद का होता है..

दिल पे हाथ रखा तो दिल भी धक् धक् करता है..सोचा यह तो है पास तेरे,फिर यह क्यों धड़कता है..

फिर इसी याद ने याद दिलाया,दिल तेरा तो बदल गया..यह जो पास धड़क रहा,दिल तो उस साजन

का है..अदला-बदली के मौसम मे,प्यार हुआ बस प्यार हुआ...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...