नज़र क्यों झुकी आज तुम को देख कर..पसीना क्यों आ रहा तुम को महसूस कर..छनकती हुई पायल
को पहले ही उतार कर रख दिया..कानों के झुमको को क्या इशारा दे दिया..मोहलत मांग रहे है इन साँसों
से थोड़ी सी और..साँसों की यह गर्मी क्यों पिघला रही मौसम को जय्दा कुछ और..बरसते सावन से कहा,
जम के बरस और बरस...किसी को वापिस जाने की वजह ना मिले,इस लिए दिल खोल के बरस....
को पहले ही उतार कर रख दिया..कानों के झुमको को क्या इशारा दे दिया..मोहलत मांग रहे है इन साँसों
से थोड़ी सी और..साँसों की यह गर्मी क्यों पिघला रही मौसम को जय्दा कुछ और..बरसते सावन से कहा,
जम के बरस और बरस...किसी को वापिस जाने की वजह ना मिले,इस लिए दिल खोल के बरस....