चुन चुन के तेरा हर सपना तेरे इश्के-किताब मे रखे गे..बुन बुन के अपना हर सपना अपनी पूजा की
थाली मे रख दे गे...बहुत नाज़ुक है मेरे सपने,चिड़िया के मासूम पंखो की तरह..कभी ठेस ना लगाना कि
फिर से बुन ना सके कभी...पूजा मे जो फूल रख दिया हम ने,बाबा की नज़रो मे है...वो संभाले गे किस
तरह,बाबा की मर्ज़ी पे है..
थाली मे रख दे गे...बहुत नाज़ुक है मेरे सपने,चिड़िया के मासूम पंखो की तरह..कभी ठेस ना लगाना कि
फिर से बुन ना सके कभी...पूजा मे जो फूल रख दिया हम ने,बाबा की नज़रो मे है...वो संभाले गे किस
तरह,बाबा की मर्ज़ी पे है..