Sunday 21 July 2019

जिक्र तेरा चला तो फिर भर आई आंखे...बरसो बाद खुली तेरी बाते तो हम क्यों रो पड़े..सोचते रहे

शायद अब तेरी यादो से बाहर आ चुके है...मगर शायद दिल का यह भ्रम है...''बरसो मे पैदा होती है

तेरे जैसी दुल्हन,कोई मेरी कमियों के साथ मुझे इतना निभा दे''..इन लफ्ज़ो के मायने फिर क्यों याद 

आ रहे है..खामोश कितना भी रहे,तेरी बातो को आज फिर क्यों दोहरा रहे है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...