जिक्र तेरा चला तो फिर भर आई आंखे...बरसो बाद खुली तेरी बाते तो हम क्यों रो पड़े..सोचते रहे
शायद अब तेरी यादो से बाहर आ चुके है...मगर शायद दिल का यह भ्रम है...''बरसो मे पैदा होती है
तेरे जैसी दुल्हन,कोई मेरी कमियों के साथ मुझे इतना निभा दे''..इन लफ्ज़ो के मायने फिर क्यों याद
आ रहे है..खामोश कितना भी रहे,तेरी बातो को आज फिर क्यों दोहरा रहे है...
शायद अब तेरी यादो से बाहर आ चुके है...मगर शायद दिल का यह भ्रम है...''बरसो मे पैदा होती है
तेरे जैसी दुल्हन,कोई मेरी कमियों के साथ मुझे इतना निभा दे''..इन लफ्ज़ो के मायने फिर क्यों याद
आ रहे है..खामोश कितना भी रहे,तेरी बातो को आज फिर क्यों दोहरा रहे है...