खामोशिया कभी कभी खुद पे भी भारी पड़ जाया करती है..कहना होता है बहुत कुछ मगर,लबो को
फिर भी सीना होता है..अक्सर अंधेरो मे कुछ परछाइयां तन्हा इतना कर देती है,उजालो से सीधा
गहरी खदान मे पटक देती है..कायर थे जो लड़ न सके इन अंधेरो से,खामोशियो को बनाया खुद का
सहारा और दूजो के लिए जीने लगे...पलट रहे है आज उन्ही अंधेरो को उन्ही के बिछाए जाल मे..ओह..
ज़िंदगी तू इतनी खूबसूरत भी हो सकती है..कि लबो को दुबारा मुस्कान भी दे सकती है..
फिर भी सीना होता है..अक्सर अंधेरो मे कुछ परछाइयां तन्हा इतना कर देती है,उजालो से सीधा
गहरी खदान मे पटक देती है..कायर थे जो लड़ न सके इन अंधेरो से,खामोशियो को बनाया खुद का
सहारा और दूजो के लिए जीने लगे...पलट रहे है आज उन्ही अंधेरो को उन्ही के बिछाए जाल मे..ओह..
ज़िंदगी तू इतनी खूबसूरत भी हो सकती है..कि लबो को दुबारा मुस्कान भी दे सकती है..