यक़ीं आज परवरदिगार पे और हो आया...कुछ और भी आज उस से मांग लेते,तो जरूर पा लेते..एक
ख़त लिखा और उस से गुजारिश की,बस आज मुझे वो दे जिस से किसी की ज़िंदगी सज़े..तूने तो मुझे
ज़िंदगी से लड़ने की बहुत ताकत दी है..ताकत के साथ कितनी इबादत भी दी है..मेरे कर्मो का आज
फिर लेखा-झोखा कर,और किसी और को बचा कर मेरी गुजारिश को इक और मौका दो...
ख़त लिखा और उस से गुजारिश की,बस आज मुझे वो दे जिस से किसी की ज़िंदगी सज़े..तूने तो मुझे
ज़िंदगी से लड़ने की बहुत ताकत दी है..ताकत के साथ कितनी इबादत भी दी है..मेरे कर्मो का आज
फिर लेखा-झोखा कर,और किसी और को बचा कर मेरी गुजारिश को इक और मौका दो...