Friday 12 July 2019

यक़ीं आज परवरदिगार पे और हो आया...कुछ और भी आज उस से मांग लेते,तो जरूर पा लेते..एक

ख़त लिखा और उस से गुजारिश की,बस आज मुझे वो दे जिस से किसी की ज़िंदगी सज़े..तूने तो मुझे

ज़िंदगी से लड़ने की बहुत ताकत दी है..ताकत के साथ कितनी इबादत भी दी है..मेरे कर्मो का आज

फिर लेखा-झोखा कर,और किसी और को बचा कर मेरी गुजारिश को इक और मौका दो...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...