बेजुबां तो नहीं मगर जुबां खोले गे ही नहीं...अंदर क्या होता है यह खुल कर कभी बोले गे ही नहीं..तू
सामने आ जाए तो हसरते मचल जाए गी..सुभान-अल्लाह पसीने पसीने हो जाए गे मगर हाथ लगाए
गे ही नहीं..''''कौन सी नगरी से आए हो जो बुत बन कर यू खड़े हो..दिल को देखना, कही चट्टान से
कोई सीख ले कर आए हो'''खिलखिला कर जो हम हंसे वो तो मोम के जैसे पिघल गए..जुबां जो फिसली
तो ना जाने किस मोड़ पे जा कर रुक गई..
सामने आ जाए तो हसरते मचल जाए गी..सुभान-अल्लाह पसीने पसीने हो जाए गे मगर हाथ लगाए
गे ही नहीं..''''कौन सी नगरी से आए हो जो बुत बन कर यू खड़े हो..दिल को देखना, कही चट्टान से
कोई सीख ले कर आए हो'''खिलखिला कर जो हम हंसे वो तो मोम के जैसे पिघल गए..जुबां जो फिसली
तो ना जाने किस मोड़ पे जा कर रुक गई..