सपनो की उड़ान इतनी तेज़ भरी कि सपने ही खनक गए...बहुत कुछ पा लेने की कोशिश मे ज़मीर
के मायने ही बदल लिए...ज़मीन का इक जर्रा था,सीधे आसमान मे उड़ जाना चाहता था...बीच राह
मे कितने पड़ाव आने है,यह समझने को राजी ही ना था...मंज़िले गर इतनी आसान होती तो हर कोई
आसमां को छू लेता..पांव ज़मीं पे रखिए जनाब,आसमां पे उड़ना है तो खुद को संभाले रखिए..
के मायने ही बदल लिए...ज़मीन का इक जर्रा था,सीधे आसमान मे उड़ जाना चाहता था...बीच राह
मे कितने पड़ाव आने है,यह समझने को राजी ही ना था...मंज़िले गर इतनी आसान होती तो हर कोई
आसमां को छू लेता..पांव ज़मीं पे रखिए जनाब,आसमां पे उड़ना है तो खुद को संभाले रखिए..