Monday 8 July 2019

सपनो की उड़ान इतनी तेज़ भरी कि सपने ही खनक गए...बहुत कुछ पा लेने की कोशिश मे ज़मीर

के मायने ही बदल लिए...ज़मीन का इक जर्रा था,सीधे आसमान मे उड़ जाना चाहता था...बीच राह

मे कितने पड़ाव आने है,यह समझने को राजी ही ना था...मंज़िले गर इतनी आसान होती तो हर कोई

आसमां को छू लेता..पांव ज़मीं पे रखिए जनाब,आसमां पे उड़ना है तो खुद को संभाले रखिए..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...