आप तो बस आप है..शीशे की तरह पावन पावन..उजला सा मन,मोतियों सा बदन...झर झर बहती
नदिया की तरह कोमल सा सजन...वाकिफ कौन होगा ऐसी शख्सियत से,जो ढल जाए कुंदन की
तरह...आप से पूछते है मालिक मेरे,कितनी फुर्सत से बनाया यह अलबेला सजन...क्या खास था उस
मिटटी मे,बरसो घूमे पर कोई ना दिखा मेहताबे-कदम...
नदिया की तरह कोमल सा सजन...वाकिफ कौन होगा ऐसी शख्सियत से,जो ढल जाए कुंदन की
तरह...आप से पूछते है मालिक मेरे,कितनी फुर्सत से बनाया यह अलबेला सजन...क्या खास था उस
मिटटी मे,बरसो घूमे पर कोई ना दिखा मेहताबे-कदम...