बरस रहा है सावन आज आंगन मे मेरे...देख रहे है दूर से कुछ मासूमो को भीगते हुए...बचपन कितना
प्यारा होता है,बेखबर सब से खुद मे डूबा रहता है...उलझनों से परे,तेरे मेरे झगड़ो से परे..मिल कर फिर
एक हो जाता है...हम तो बैठे है कुछ सपनो की उड़ान लिए...गुनगुना रहे है कोई नगमा ख़ुशी से भरा..
क्या पता यह सावन कल हो,ना हो..पर यह नगमा याद दिलाए गा,यह मासूम और हमारे आज के सपने
की उड़ान का खूबसूरत सा यह मंजर..
प्यारा होता है,बेखबर सब से खुद मे डूबा रहता है...उलझनों से परे,तेरे मेरे झगड़ो से परे..मिल कर फिर
एक हो जाता है...हम तो बैठे है कुछ सपनो की उड़ान लिए...गुनगुना रहे है कोई नगमा ख़ुशी से भरा..
क्या पता यह सावन कल हो,ना हो..पर यह नगमा याद दिलाए गा,यह मासूम और हमारे आज के सपने
की उड़ान का खूबसूरत सा यह मंजर..