Thursday 11 July 2019

ना जाने क्या सोच कर बाहर आसमां को देखने चले आए है..चाँद घिरा है बादलों से,महसूस हुआ कुछ

बूंदो का खुद पे गिरना...चांदनी के प्यार को नज़दीक से पाने के लिए आज क्यों बेक़रार है यह चाँद...

यह जानते हुए कि चांदनी उस के बिना अधूरी है,वो भी उदास हो जाती है चाँद की बेकरारी से..कभी

तो यह बादल छिटके गे,कभी तो यह आसमां साफ़ होगा...अनंत से अनंत काल तक का साथ ना

कभी खतम हुआ था,ना कभी ख़त्म होगा...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...