वो धीमे से तेरा मुस्कुरा देना..नन्ही सी बात पे घंटो मुझे हंसा देना..मेरे रोके से फिर भी ना रुकना,तू
जान है मेरी यह बोल कर मुझे और और नज़दीक ले आना...ज़न्नत का नशा कैसा होता है,यह तुझ से
मिल कर मैंने जाना है..बेजान तारो को बहा दिया इसी सावन मे,ले जा नदिया साथ अपने गर्दिश के
सितारों को..इसी मुस्कान के लिए हम दुआए माँगा करते थे..कबूल होगी ऐसे सोचा भी ना करते थे..
जान है मेरी यह बोल कर मुझे और और नज़दीक ले आना...ज़न्नत का नशा कैसा होता है,यह तुझ से
मिल कर मैंने जाना है..बेजान तारो को बहा दिया इसी सावन मे,ले जा नदिया साथ अपने गर्दिश के
सितारों को..इसी मुस्कान के लिए हम दुआए माँगा करते थे..कबूल होगी ऐसे सोचा भी ना करते थे..