अस्तित्व नहीं है कुछ भी मेरा..कमजोर बहुत है दिल यह मेरा...तुझ को क्या दे पाऊ गा...दुनियां ने
ना मुझ को जाना,मेरे किए को किसी ने ना सराहा...तुम तो हो परियो की रानी,तेरी खूबसूरती मेरे
आगे ज़न्नत की कोई सूंदर सी कहानी...मुस्कुरा कर हम ने दुःख उस का बांटा..''कीचड़ मे खिले
कमल को कभी गौर से देखा है..वो उतना ही खूबसूरत है,जितना कीचड़ काला है..दुनियां जलती है
जब भी चाँद की खूबसूरती से,दाग़ भरा है इस के अंदर..कह कर खुद को बहलाती है..तुम भी हो उसी
कमल और चाँद के जैसे..जिस से जल कर दुनियां खुद को आग लगाती है.'''
ना मुझ को जाना,मेरे किए को किसी ने ना सराहा...तुम तो हो परियो की रानी,तेरी खूबसूरती मेरे
आगे ज़न्नत की कोई सूंदर सी कहानी...मुस्कुरा कर हम ने दुःख उस का बांटा..''कीचड़ मे खिले
कमल को कभी गौर से देखा है..वो उतना ही खूबसूरत है,जितना कीचड़ काला है..दुनियां जलती है
जब भी चाँद की खूबसूरती से,दाग़ भरा है इस के अंदर..कह कर खुद को बहलाती है..तुम भी हो उसी
कमल और चाँद के जैसे..जिस से जल कर दुनियां खुद को आग लगाती है.'''