Monday 22 July 2019

दूर दराज़ तक फैली है तेरी मुहब्बत की चादर..फिर भी क्यों पूछते हो मुझ से,दूर मुझ से कभी चले

तो ना जाओ गे...आसमां से आगे कोई और आसमां है,धरती के तले कौन सा और तला है...कितने

नादान हो जो यह भी नहीं समझते कि मेरी हद है कहां तक...तेरे नाम से जो शुरू होती हो,तेरे नाम

के साथ ख़त्म हो जाती हो...ऐसी है मुहब्बत मेरी,दूर दराज़ तक जो फैली हो ...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...