बहुत घनेरे बादल है आज..कितना गरज़ कर बरसे गे..कुछ कुछ कहता है यह मौसम,साथ तेरे को आज
तरसे गे..बरसने को है मोटी मोटी बूंदे,पूरा दिन ही बरसे गी..तेरा शहर है जितना भीगा,उतना तन-मन
मेरा भीगा है...आँचल है सारा ही भीगा,गेसुओँ ने कांधे पे डेरा डाला है..पायल कर रही रुनझुन रुनझुन,
कंगना हाथो पे भारी है..लौट के आज़ा अब तो साजन,यह मौसम कुछ कुछ कहता है...
तरसे गे..बरसने को है मोटी मोटी बूंदे,पूरा दिन ही बरसे गी..तेरा शहर है जितना भीगा,उतना तन-मन
मेरा भीगा है...आँचल है सारा ही भीगा,गेसुओँ ने कांधे पे डेरा डाला है..पायल कर रही रुनझुन रुनझुन,
कंगना हाथो पे भारी है..लौट के आज़ा अब तो साजन,यह मौसम कुछ कुछ कहता है...