Tuesday 30 July 2019

बहुत घनेरे बादल है आज..कितना गरज़ कर बरसे गे..कुछ कुछ कहता है यह मौसम,साथ तेरे को आज

तरसे गे..बरसने को है मोटी मोटी बूंदे,पूरा दिन ही बरसे गी..तेरा शहर है जितना भीगा,उतना तन-मन

मेरा भीगा है...आँचल है सारा ही भीगा,गेसुओँ ने कांधे पे डेरा डाला है..पायल कर रही रुनझुन रुनझुन,

कंगना हाथो पे भारी है..लौट के आज़ा अब तो साजन,यह मौसम कुछ कुछ कहता है...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...