रात तो हर रोज़ गहराया करती है..रंग भी हमेशा काला ही दिया करती है..कभी सुना किसी ने कि रात
कुछ कहा भी करती है..बहुत गहरी रात की ख़ामोशी किसी को कुछ तो किसी को कुछ,दिया भी करती
है..कभी यह रात आंसुओ की सिसकियां दिया करती है..और कभी अपने रंग से जुदा किसी को उस के
मीत का प्यार भी लौटाया करती है...सुलझा के कितने पुराने रिश्ते,यह उन मे नए रंग भी भरा करती है..
कुछ कहा भी करती है..बहुत गहरी रात की ख़ामोशी किसी को कुछ तो किसी को कुछ,दिया भी करती
है..कभी यह रात आंसुओ की सिसकियां दिया करती है..और कभी अपने रंग से जुदा किसी को उस के
मीत का प्यार भी लौटाया करती है...सुलझा के कितने पुराने रिश्ते,यह उन मे नए रंग भी भरा करती है..