Sunday 14 July 2019

रात तो हर रोज़ गहराया करती है..रंग भी हमेशा काला ही दिया करती है..कभी सुना किसी ने कि रात

कुछ कहा भी करती है..बहुत गहरी रात की ख़ामोशी किसी को कुछ तो किसी को कुछ,दिया भी करती

है..कभी यह रात आंसुओ की सिसकियां दिया करती है..और कभी अपने रंग से जुदा किसी को उस के

मीत का प्यार भी लौटाया करती है...सुलझा के कितने पुराने रिश्ते,यह उन मे नए रंग भी भरा करती है..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...