यह शब्दों की कारीगिरी ही तो है कि हम मासूम दिलो को जीत पाए है..नन्ही नन्ही बातो से तमाम
नन्हों का संसार जीत पाए है..कोई तोतली भाषा से हम को पुकारता रहा,परियो के देश की रानी..
तो कोई हम से लिपट रहा कि ना जा छोड़ के यू मझधार मे हमे..आँखों के इशारे से गुफ्तगू कर के
कह रहे है कि ज़िंदा है जब तल्क़ अपना सब तुम पे लुटाए गे..कोई खौफ नहीं अब बिछड़ने का,कि
रंजिशों से दूर इसी दुनिया मे अपने कदम जमाए गे..
नन्हों का संसार जीत पाए है..कोई तोतली भाषा से हम को पुकारता रहा,परियो के देश की रानी..
तो कोई हम से लिपट रहा कि ना जा छोड़ के यू मझधार मे हमे..आँखों के इशारे से गुफ्तगू कर के
कह रहे है कि ज़िंदा है जब तल्क़ अपना सब तुम पे लुटाए गे..कोई खौफ नहीं अब बिछड़ने का,कि
रंजिशों से दूर इसी दुनिया मे अपने कदम जमाए गे..