नज़र का उस मोड़ तक जाना,जहा तेरी दुनिया का बसेरा होना...दूर खड़े हो कर तुझे देखना,पर तेरी
खुद की दुनिया को ना छूना...तू खुश है बस इसी एहसास से अँखियो को तेरे आँगन मे रखना और
फिर खुद की दुनिया मे लौट आना....यही अंखिया जो सुख मे तेरे हंस दे गी और तेरे दुखी होने से तेरे
दर्द को झट से पी ले गी..जब तक तू सोचे गा कि कौन सा गम तेरे पास आने को था,यह आंखे उसी
दम तेरा गम को खुद मे पी ले गी...
खुद की दुनिया को ना छूना...तू खुश है बस इसी एहसास से अँखियो को तेरे आँगन मे रखना और
फिर खुद की दुनिया मे लौट आना....यही अंखिया जो सुख मे तेरे हंस दे गी और तेरे दुखी होने से तेरे
दर्द को झट से पी ले गी..जब तक तू सोचे गा कि कौन सा गम तेरे पास आने को था,यह आंखे उसी
दम तेरा गम को खुद मे पी ले गी...