Tuesday 23 July 2019

हसरतो की क्या मंशा है और तेरी चुप्पी के क्या कहने...रूहे-लिबास जो पहना है तूने,उस के वज़ूद

की जरुरत क्या है...धागे जो बांधे है बहुत इत्मीनान से तूने, खोले गा गाँठें भी तू, उतनी ही इत्मीनान

से..बंधन मे किस के साथ कौन बंधा,कुदरत ने खुद तय किया बहुत ही इत्मीनान से..हम जो अब सो

रहे है बहुत इत्मीनान से...चुप्पी हम हमारी होगी और तू तड़प जाए गा हमारे ही इम्तिहान से..

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...