यकीं कीजिए या ना कीजिए...कदम आप जहां जहां रखते है,उस से पहले हमारे आंचल का मखमली
दुपट्टा आप के कदमो मे बिछ जाता है..किसी को दिखाई नहीं दे गा,मगर इन पलकों का शामियाना
आप को बुरी नज़रो से बचाए गा...बारिश मे भीगे या गर्म हवाओ मे तपे,इक ठंडी हवा का पुरज़ोर
नशा हर बला से दूर रखे गा तुम्हे..कशिश मुहब्बत की गर खरी है,यक़ीनन यह आप को खुद ही
नज़र आ जाए गा...
दुपट्टा आप के कदमो मे बिछ जाता है..किसी को दिखाई नहीं दे गा,मगर इन पलकों का शामियाना
आप को बुरी नज़रो से बचाए गा...बारिश मे भीगे या गर्म हवाओ मे तपे,इक ठंडी हवा का पुरज़ोर
नशा हर बला से दूर रखे गा तुम्हे..कशिश मुहब्बत की गर खरी है,यक़ीनन यह आप को खुद ही
नज़र आ जाए गा...