सो जाइए कि दिन तो अब ढलने को है...बातो का क्या है,सपनो मे तो बातो का सिलसिला जारी रखने
को है..कुछ आप बोलिए,हम तो सब सुनने को तैयार ही है...दिल की धड़कनों को संभाल लीजे,कि
सुबह का उजाला बहुत देर से आने को है...कल का दिन मुबारक होना है,कि खुद से चलने के लिए
खुद का सहारा बस मिलने को ही है....
को है..कुछ आप बोलिए,हम तो सब सुनने को तैयार ही है...दिल की धड़कनों को संभाल लीजे,कि
सुबह का उजाला बहुत देर से आने को है...कल का दिन मुबारक होना है,कि खुद से चलने के लिए
खुद का सहारा बस मिलने को ही है....