Wednesday 10 July 2019

सो जाइए कि दिन तो अब ढलने को है...बातो का क्या है,सपनो मे तो बातो का सिलसिला जारी रखने

को है..कुछ आप बोलिए,हम तो सब सुनने को तैयार ही है...दिल की धड़कनों को संभाल लीजे,कि

सुबह का उजाला बहुत देर से आने को है...कल का दिन मुबारक होना है,कि खुद से चलने के लिए

खुद का सहारा बस मिलने को ही है....

              

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...