तारीफों के पुल इतने भी ना बना कि खुद हम को शर्म आ जाए...टुकड़े टुकड़े जीने वाले कही इसी जमीं
मे ना धस जाए..एक बेहद मामूली सा किरदार बन कर,ताउम्र गुजार दी हम ने..बस शुक्रगुजार रहे उस
मालिक के,दुनिया मे सब के चहेते बन के रहते रहे...दर्द किस को देते कि दर्दो को बेहद नज़दीक से
देखा हम ने...कोई हमे देख मुस्कुरा दिया,इस से जय्दा और खुशनसीब हम कितना होते...
मे ना धस जाए..एक बेहद मामूली सा किरदार बन कर,ताउम्र गुजार दी हम ने..बस शुक्रगुजार रहे उस
मालिक के,दुनिया मे सब के चहेते बन के रहते रहे...दर्द किस को देते कि दर्दो को बेहद नज़दीक से
देखा हम ने...कोई हमे देख मुस्कुरा दिया,इस से जय्दा और खुशनसीब हम कितना होते...