Tuesday 9 July 2019

तारीफों के पुल इतने भी ना बना कि खुद हम को शर्म आ जाए...टुकड़े टुकड़े जीने वाले कही इसी जमीं

मे ना धस जाए..एक बेहद मामूली सा किरदार बन कर,ताउम्र गुजार दी हम ने..बस शुक्रगुजार रहे उस

मालिक के,दुनिया मे सब के चहेते बन के रहते रहे...दर्द किस को देते कि दर्दो को बेहद नज़दीक से

देखा हम ने...कोई हमे देख मुस्कुरा दिया,इस से जय्दा और खुशनसीब हम कितना होते...

दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का.... .....

 दे कर रंग इन लबो को तेरे प्यार का,हम ने अपने लबो को सिल लिया...कुछ कहते नहीं अब इस ज़माने  से कि इन से कहने को अब बाकी रह क्या गया...नज़रे चु...