इस आर या फिर उस पार...कहानी मुहब्बत की बस इतनी है...हां या फिर ना,इसी सवाल के जवाब पे
मुहब्बत चलती है...साफ़ मन है तो सीधे सीधे दिल से हां ही निकलती है..ना दे फरेब धोखा किसी अपने
को,जो मुहब्बत के नाम पे कुर्बान होती है...साँसों का क्या है इन को तो किसी वक़्त भी रोका जा सकता
है..शर्त सिर्फ इतनी सी है कि जीने के लिए अपने मासूम दिल को कैसे मनाया जा सकता है...
मुहब्बत चलती है...साफ़ मन है तो सीधे सीधे दिल से हां ही निकलती है..ना दे फरेब धोखा किसी अपने
को,जो मुहब्बत के नाम पे कुर्बान होती है...साँसों का क्या है इन को तो किसी वक़्त भी रोका जा सकता
है..शर्त सिर्फ इतनी सी है कि जीने के लिए अपने मासूम दिल को कैसे मनाया जा सकता है...