समंदर की लहरों का तेज़ी से उमड़ना...नदियों का कल-कल करते बहना...तालाबों का कभी इस मे
खोना तो कभी ठहर जाना..ज़िंदगी भी तो ऐसा ही इक रेला है...जरा सा चूके नहीं,कि इमारतों को
बेदर्दी से हिलाना सब को आ जाता है..सुबह की धूप की तरह खिलते रहिए,शाम के आने से पहले
खुद को ज़िंदा दिल रखिए..मौत का क्या भरोसा कब ले ले गी आगोश मे,बस जो भी मिले पल उन
को शिद्दत से जीते रहिए...
खोना तो कभी ठहर जाना..ज़िंदगी भी तो ऐसा ही इक रेला है...जरा सा चूके नहीं,कि इमारतों को
बेदर्दी से हिलाना सब को आ जाता है..सुबह की धूप की तरह खिलते रहिए,शाम के आने से पहले
खुद को ज़िंदा दिल रखिए..मौत का क्या भरोसा कब ले ले गी आगोश मे,बस जो भी मिले पल उन
को शिद्दत से जीते रहिए...